लोकसभा निर्वाचन- 2024: निर्वाचन कार्य के लिए सेक्टर अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण
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निर्वाचन प्रक्रिया में सुधार और प्रशिक्षण के माध्यम से कार्यकर्ताओं की तैयारी

सेक्टर अधिकारी मतदान दल और आर.ओ. के बीच की कड़ी होता है

सेक्टर अधिकारियों को सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन पूर्ण जवाबदारी के साथ करें
 

       दुर्ग। लोकसभा निर्वाचन 2024 अंतर्गत कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के मार्गदर्शन में दुर्ग जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए नियुक्त सेक्टर अधिकारियों एवं सेक्टर पुलिस अधिकारियों को आज महात्मा गांधी कला मंदिर सिविक सेंटर भिलाई में मास्टर ट्रेनर डॉ. संजय कुमार दास एवं श्री एच.एस.भुवाल द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। मास्टर ट्रेनरों द्वारा सेक्टर अधिकारियों की भूमिका को विस्तार से बताया गया।

       शासकीय महाविद्यालय वैशाली नगर के सहायक प्राध्यापक मास्टर ट्रेनर डॉ. संजय कुमार दास ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेक्टर अधिकारियों को निर्वाचन से संबंधित कार्यो का बोध कराया गया। उन्हें भारत निर्वाचन आयोग द्वारा विहित निर्देशों की जानकारी दी गई। सेक्टर अधिकारियों को सौंपे गए दायित्वों का निर्वहन पूर्ण जवाबदारी के साथ करने को कहा। निर्वाचन कार्य के सभी बिन्दुओं का महत्व समझते हुए किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने के स्पष्ट निर्देश दिए। सेक्टर अधिकारियों को आदर्श आचार संहिता लागू होने से लेकर आचार संहिता समाप्त होने तक उनके दायित्वों की जानकारी दी गई। संवेदनशील क्षेत्र जहां, मतदान के दौरान विवाद होने की स्थिति बनी रहती हैं, ऐसे क्षेत्रों में अधिक संवेदनशीलता और गम्भीरता से कार्य करने को कहा। स्थानीय स्तर पर पूर्व में घटित घटनाओं के आधार पर मतदान केन्द्रों में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस अधिकारियों की मदद लेने को कहा।

       शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नारधा के व्याख्याता मास्टर ट्रेनर श्री एच.एस.भुवाल ने कहा कि सेक्टर अधिकारी के पास चुनावों से सम्बंधित सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही उनके काम शुरू हो जाते हैं और मतदान प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद ही वे मुक्त हो सकते है। एक सेक्टर अधिकारी दस से बारह मतदान केन्द्रों का प्रभारी होता है। वह अपने प्रभार के मतदान दलों का फ्रैंड फिलॉसफर गाइड होता है। अपने सेक्टर में वह निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधि भी होता है। वह मतदान दल और आर.ओ./ए.आर.ओ. के बीच की कड़ी भी होता है। उन्हें नियुक्त होते ही अपने प्रभार के केन्द्रों को दौरा करना चाहिए। उन्हें ईवीएम के बारे में पूरी जानकारी, बिना भ्रम और बिना शंका, होनी चाहिए। सेक्टर अधिकारी को मतदान प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें अपने क्षेत्र और उसके पहुँच मार्गों की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।

       उन्होंने कहा कि सेक्टर अधिकारी को मतदान से पहले अपने प्रभार के मतदान केन्द्रों का दौरा करके जानकारी ले लेनी चाहिए। यदि सेक्टर में भ्रमण में कोई बाधा हो, जैसे टूटे पुल-पुलिया या कटी सड़क तो सेक्टर अधिकारी तत्काल आर.ओ./ए.आर.ओ. एवं सम्बंधित एजेंसी को सूचित कर सकते है। प्रकाश, छाया, पेय जल, शौचालय, रैंप व्यवस्था की भी जानकारी होनी चाहिए। राजनैतिक दलों एवं प्रत्याशियों के कार्यालय केंद्र से 200 मीटर से अधिक दूर होना चाहिए। यदि मतदान केंद्र नया है तो उसका पर्याप्त प्रचार किया जाना चाहिए। सेक्टर अधिकारी यह भी नज़र रखें कि उनके सेक्टर में आदर्श आचार संहिता का पालन हो रहा है। अपने क्षेत्र में अनाधिकृत प्रचार वाहनों की आवाजाही, शासकीय संपत्ति के दुरुपयोग और उनके तथा निजी संपत्तियों के विरूपण पर भी नज़र रखें। क्षेत्रीय संवेदनशीलता का आकलन, कारकों की पहचान करना और आर.ओ./ए.आर.ओ. को प्रपत्र-2 में सूचित करना, संवेदनशील क्षेत्रों के मतदाताओं को उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करना आदि कार्य सेक्टर अधिकारी के होंगे। मतदान के दिन सेक्टर अधिकारी जोनल मजिस्ट्रेट की शक्तियों से भी लैस होंगे, इसलिए उन्हें उसके अनुरूप भी योजना तैयार रखना चाहिए।

       मतदाताओं के प्रति सेक्टर अधिकारी के विभिन्न उत्तरदायित्व होते है-जैसे ईवीएम के प्रति मतदाताओं को जागरूक करना, ईपिक के प्रति विशेष रूप से आगाह करना, मतदाताओं को उनके केंद्र के बारे में अवगत कराना, मतदाताओं को हेल्पलाईन नंबर एवं केंद्र पर मिल सकने वाली सहायता के बारे में जागरूक करना, भय अथवा दबाव मुक्त मतदान के लिए प्रयास करना, उन मतदाता समूहों पर विशेष ध्यान देना जो वलनरेबल हैं।

       मतदान केंद्र के संबंध में विशेष रूप से सेक्टर अधिकारियों को मतदान केंद्र की व्यवस्थाओं के प्रति जिम्मेदार होना चाहिए। यदि कोई प्रभावित मतदाता समूह है तो उसकी पहचान, मोबाइल से संपर्क की व्यवस्था, केंद्र के आस पास के लोगों के नंबर लेकर रखना चाहिए। मतदान केंद्र पर विधान सभा क्रमांक व नाम, मतदान केंद्र का क्रमांक व नाम अनुभागों के नाम व क्रमांक, एक भवन में एक से अधिक मतदान केंद्र हों तो सभी कमरे स्पष्ट रूप से चिन्हित होने चाहिए। सेक्टर अधिकारी इन विवरणों को लिखने के लिए सम्बंधित पंचायत सचिव, सरपंच, प्रधान पाठक, पटवारी अथवा कोटवार को निर्देश दे सकते है।

       इसके अलावा सेक्टर अधिकारी मतदान से एक दिन पूर्व यह सुनिश्चित करेंगे कि सभी मतदान दल अपने अपने मतदान केंद्र पर पहुँच गए और उन्हें मतदान सामग्री, दल के किसी सदस्य, अथवा ईवीएम को लेकर कोई समस्या न हो, दल के साथ आबंटित सीपीएफ सहित सभी सुरक्षा कर्मी केंद्र पर उपस्थित हो। सेक्टर अधिकारी आरओ को रिपोर्ट भेजेंगे।

       मतदान के दिन सेक्टर अधिकारी मॉक पोल सुनिश्चित करेंगे। उन केन्द्रों पर ध्यान देंगे जहां मतदान एजेंट नहीं हैं। साथ ही यह भी सुनिश्चित करे कि समय पर मतदान आरम्भ हो, आवश्यकता होने पर ईईएम/वीवीपैट बदल सकते है। मतदान की गति पर नज़र रखेंगे और हर दो घंटे पर रिपोर्ट संकलित कर आर.ओ. को रिपोर्ट करेंगे। अपने प्रभार के मतदान केन्द्रों की सूची, रूट चार्ट, क्षेत्र का नक्शा, आर.ओ./ए.आर.ओ./डी.ई.ओ सहित सभी सम्बंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के मोबाइल नंबर, प्रभार के मतदान दलों के संपर्क नंबर, सभी आवश्यक निर्देश, निरीक्षण प्रतिवेदन (प्रपत्र 1 एवं 2), प्रपत्र 3 (22 कॉलम वाला प्रपत्र, मतदान के बाद के लिए) इत्यादि  सेक्टर अधिकारियों के पास यह अनिवार्य रूप से होना चाहिए।

       प्रशिक्षण के दौरान अपर कलेक्टर श्री अरविंद एक्का व श्रीमती योगिता देवांगन, अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी श्री बजरंग दुबे, संयुक्त कलेक्टर श्री हरवंश मिरी, डिप्टी कलेक्टर श्री लवकेश ध्रुव एवं श्री उत्तम ध्रुव, तहसीलदार भिलाई श्री बी.बी. पंचभाई सहित सहायक रिटर्निंग ऑफिसर एवं सभी नोडल अधिकारी उपस्थित थे।

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